।। शिप्रा-महाकालेश्वर विजयते ।।

उज्जैन (अवन्तिकापुरी) शंकराचार्य परम्परा के प्रधान
धर्माधिकारी एवं तीर्थोपाध्याय
तीर्थ - पुरोहित

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शुक्ल यजुर्वेद विध्यवान्

22 वर्ष का तीर्थ पूजा अनुभव

200+ अति महत्वपूर्ण यजमान की पूजा

1200+ सामान्य यजमान की पूजा

आप भी अपनी तीर्थ पूजा करवाएं आचार्य पं. गौरव नारायण उपाध्यायजी से

आचार्य पं. गौरव नारायण उपाध्याय के दिव्या धार्मिक अनुष्ठान

पूजा की सूची

उज्जैन में मोक्षदायनी माँ शिप्रा के खगरता संगम पर भगवान मंगल भूमि पुत्र के रूप में अँगारेश्वर महादेव के रूप में स्वयं भू रूप में विधयमान है, जिन जातको की जन्म कुंडली में मंगल 1,4,7,8,12 वे भाव में होते है ऐसे जातको की कुंडली में मांगलिक दोष कहलाता है जिसके फलस्वरुप जातको के विवाह में विलम्ब, संतान उत्पत्ति में बाधा, ऋण चढ़ना, भवन, भूमि, वाहन से सम्बंधित परेशानी, रक्त से सम्बंधित रोग आदि समस्याएं आती है जिसके निवारण हेतु भगवान मंगल अँगारेश्वर जी के मंत्रो का जाप, रक्त चन्दन पूजन व भात पूजन का विशेष महत्त्व बतलाया गया है 

जातको की पत्रिका में मुख्य रूप से राहु और केतु द्वारा कालसर्प दोष का प्रभाव बनता है, उज्जैन तीर्थ पर इस दोष का शत प्रतिशत निवारण संभव है क्यूंकि इस भूमि पर काल के अधिपति भगवान महाकालेश्वर विराजमान है और मोक्षदायनी माँ शिप्रा में अमृत की बून्द गिरने से इसका महत्त्व 100 गुना बढ़ गया है अतः इस पुण्य भूमि पर बैठ कर कालसर्प दोष का निवारण विधि विधान से सम्पन होता है तो मनुष्य के जीवन में आने वाली शारीरिक, मानसिक, आर्थिक सभी समस्याओ का निवारण हो जाता है 🙏🏻

ये दोष पितृओ से सम्बंधित होता है जिसका संकेत मनुष्य को मिलता रहता है इस लिए हिन्दू धर्म में प्रतिवर्ष पितृओ के लिए श्राद्ध करने का नियम बतलाया गया है भारत वर्ष की प्रमुख सप्त पुरियो में अवंतिका अर्थात उज्जैन तीर्थ पर विधि विधान के साथ नाग वली नारायण वली अनुष्ठान करने से पितृ देवता प्रसन्न होते है और जातक को धन, सम्पदा, आयु, एशवर्य का आशीर्वाद देकर सदगति को प्राप्त होते है l

िन जातको को लगातार शारीरिक व्याधिया, रोग, मृत्यु का भय, संकट आदि होते है उनके लिए भगवान मृत्युजय महाकाल की विशेष आरधना कर महा मृत्युजय मंत्रो का जाप किया जाता है जो मनुष्य के हर संकट का निवारण कर उसे प्रगति की और ले जाता है 🙏🏻

आचार्य पं.
गौरव नारायण उपाध्याय

उज्जैन तीर्थ परंपरा के धर्माधिकारी परिवार के रूप में पंडित गौरव नारायण उपाध्याय जी का परिवार विगत कई पीढ़ियों से उज्जैन की धार्मिक व सामाजिक गतिविधियों से जुड़कर तीर्थ की परम्परा व मर्यादा का निर्वाहन कर रहे हैं. इनका परिवार पीढ़ियों से तीर्थपुरोहित व कई मंदिरों के पुजारी हैं जिनको शासन के द्वारा मान्यता प्राप्त है.
पंडित गौरव उपाध्याय ने बाल्य काल से गुरुकुल व विद्यालय की शिक्षा प्राप्त की, वैदिक शिक्षा प्राप्त कर विश्व विद्यालय से संस्कृत व कर्मकांड में आचार्य की डिग्री प्राप्त की एवं हिन्दू धर्म में सम्पादित होने वाले धार्मिक अनुष्ठानों का गूढ़ अध्ययन किया. इसी वजह से आज इनके यजमान देश-विदेश से भी जुड़े हैं जो समय-समय पर पूजन सम्पादित करवाने के साथ ही अपनी शंका का समाधान भी पूछते हैं.
पंडित उपाध्याय अपनी वंश परम्परा का निर्वाहन करते हुए उज्जैन आने वाले कई विशिष्ट लोगों के समस्त धार्मिक अनुष्ठान सम्पादित करवाते हैं, साथ ही कई सामाजिक संस्थाओं के साथ जुड़कर सभी के सहयोग की भावना भी रखते हैं.

पूजा सम्पन्न
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वर्षों का अनुभव
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आचार्य पं गौरव नारायण उपाध्याय धर्माधिकारी तीर्थोपाध्याय

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